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Channel: सुबीर संवाद सेवा
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चलिये आज तरही को एक बार फिर से ग़ज़लों की दिशा में मोड़ देते हैं डॉ संजय दानी, मुकेश तिवारी और सुलभ जायसवाल की ग़ज़लों के साथ ।

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दीपावली यदि नहीं होती घरों में सफाई तक नहीं होती, ये वाक्‍य कल किसी ने कहा । मुझे लगा बात तो सही है । आदमी लापरवाही की मिट्टी से बना है । उसे कोई कारण चाहिये होता है । दीपावली एक कारण होता है साफ सफाई करने का । काश ऐसा ही कोई त्‍यौहार होता जिसमें अपने अंदर की भी साफ सफाई कर ली जाती । जो कलुष, जो गंदगी घर से साफ की जाती है वो ही मन की भी साफ की जाती । मगर ऐसा कोई त्‍यौहार नहीं है । हम घरों से तो गंदगी हर साल साफ करते हैं लेकिन मन में गंदगी साल दर साल जमा करते जाते हैं । गंदगी के ढेर बढ़ते जाते हैं । और इतने बढ़ जाते हैं कि हमारा अंतस उस गंदगी से छटपटाने लगता है । हम समझ ही नहीं पाते कि ये गंदगी इतनी हमारे अंदर आई कहां से । आइये इस दीपावली पर विचारों की बुहारी लेकर अपने अंतस को भी जरा बुहार दें । बुहार दें ताकि अंदर बाहर दोनों जगमगा उठें । 

ganeshji

deepawali

घना जो अंधकार हो, तो हो रहे, तो हो रहे

deepawali

आज तरही मुशायरे में तीन चिर परिचित शायरों की रचनाएं हैं । डॉ संजय दानी, सुलभ जायसवाल और मुकेश कुमार तिवारी । तीनों ने विविध रंगी ग़ज़लें कही हैं ।

papa

डॉ संजय दानी

जुदाई से करार हो तो, हो रहे, तो हो रहे
विरह ही अपना यार हो, तो हो रहे, तो हो रहे

ग़रीबों का शिकार हो, तो हो रहे, तो हो रहे,
दरे-अमीर दार हो, तो हो रहे, तो हो रहे

अमीरों के लिये है पर्व रौशनी का, अपने घर
घना जो अंधकार हो, तो हो रहे, तो हो रहे।

सुखों के बादलों को अपनी छत पे रोक कर रखो,
पड़ोसी अश्कबार हो, तो हो रहे, तो हो रहे

न देखो हादसों की ओर, वक़्त ये खराब है
मदद की भी पुकार हो, तो हो रहे, तो हो रहे।

ख़ुदा से हम ग़रीबों ने दुखों की पूंजी पाई है,
सुखों का सर फ़रार हो, तो हो रहे, तो हो रहे

पलों की ज़िन्दगी है ख़ूब खाओ पीओ दोस्तों,
गली गली उधार हो, तो हो रहे, तो हो रहे

वतन का पैसा शन्ति से पचाना आना चाहिये,
दबी दबी डकार हो, तो हो रहे, तो हो रहे

जला के दीप दो मनायें दीप पर्व, दानी को
दिखावे से ही प्यार हो, तो हो रहे, तो हो रहे

हसीनों की ही कंपनी में दानी नौकरी करो,
ज़रा सा कम पगार हो, तो हो रहे, तो हो रहे

deepawali

अच्‍छी ग़ज़ल कही है डॉ दानी ने । ऋणम कृत्‍वां घृतं पिवेत को बहुत ही सुंदरता के साथ 'पलों की जिन्‍दगी है खूब खाओ पीओ दोस्‍तों' में बांधा है । न देखो हादसों की ओर एक सामयिक शेर है, आज के हालात पर सटीक बयान है ये शेर । कोई मदद के लिये पुकारता हो तो पुकारता रहे, मत देखो, समय खराब है । दानी जी ने दो ग़ज़लें भेजी थीं जिनको मिक्‍स करके मैंने एक ग़ज़ल निकाली है इसलिये दोनों के मतले आ रहे हैं । अच्‍छी ग़ज़ल ।

sulabh-jaiswal

सुलभ जायसवाल

तिमिर में छल की धार हो, तो हो रहे, तो हो रहे 
ये पाप कारोबार हो, तो हो रहे, तो हो रहे 

ये पर्व है प्रकाश का, नमन करें नमन करें
धना जो अंधकार हो, तो हो रहे, तो हो रहे

वो एक गूँज प्यार की, करे मुझे अजर अमर
जो जीत में भी हार हो, तो हो रहे, तो हो रहे

deepawali

बहुत छोटी सी ग़ज़ल । मतला और दो शेर । मगर छोटी होने के बाद भी असर लिये हुए है । सुलभ धीरे धीरे ट्रेक पर आ रहा है । मतला बहुत अच्‍छे तरीके से गढ़ा है । और उसी प्रकार से गिरह का शेर भी कहा है । तिमिर में छल की धार हो कह के कुछ अलग कहने की कोशिश की है सुलभ ने । अच्‍छी ग़ज़ल ।

mukesh tiwari

मुकेश कुमार तिवारी

नज़र का तिरछा वार हो तो हो रहे तो हो रहे 
जिगर के आर पार हो तो हो रहे तो हो रहे

हमारी बाजुओं का ज़ोर कम नहीं हुआ अभी
ये जंग ए आरपार हो तो हो रहे तो हो रहे

फना हुई  है जिंदगी सुकून की तलाश में
बचा रहा करार हो तो हो रहे हो रहे

बताएँगी ये दूरियाँ हैं कैसे साथ साथ  हम 
दिलों में दफ़्न प्यार हो तो हो रहे तो हो रहे

यूं दीप मन में जल उठें प्रकाश चारों ओर हो
घना जो अंधकार हो तो हो रहे तो हो रहे

बची रहे उमीद आखिरी दिलों में बस तेरी
खुला प्रलय का द्वार हो तो हो रहे तो हो रहे

सलीब ए उम्र पे टँगी मनुष्‍यता के वास्‍ते   
अगर हमारी हार हो तो हो रहे तो हो रहे

deepawali

बहुत अच्‍छे तरीके से शेर निकाले हैं मुकेश जी ने । गिरह का शेर प्रकाश के आगमन के साथ बांधा गया है । और उसी प्रकार से ईश्‍वर पर आस्‍था की बात को बची रहे उमीद के माध्‍यम से अभिव्‍यक्‍त किया गया है । हमारी बाजुओं का जोर कम नहीं हुआ अभी में हौसले के साथ बात को कहा गया है । ग़ज़ल में विभिन्‍न रंगों का बहुत ही कुशलता के साथ समावेश किया गया है । बहुत सुंदर ।

deepawali

तो ये थे आज के तीन रचनाकार । ग़ज़लों का आनंद लीजिये और दाद देते रहिये । आज की ये तीनों ग़ज़लें अब आपके हा‍थों में हैं आनंद लीजिये और प्रशंसा कीजिये । मिलते हैं कल कुछ और रचनाकारों के साथ ।


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