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Channel: सुबीर संवाद सेवा
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आइये आज जनवरी 2015 के अंतिम दिन श्री राकेश खंडेलवाल की गुदगुदाती हुर्द रचना के साथ हंसते खिलखिलाते करते हैं तरही मुशायरे का विधिवत समापन।

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समय की भी क्‍या रफ्तार होती है। देखिए अभी तो हमने 2015 का स्‍वागत किया था और अभी बात की बात में उसका एक महा बीत भी गया । अब बचे हैं कुल 11 महीने । ये भी बीत जाएंगे। खैर आइये कुछ महत्‍तवपूर्ण सूचनाएं आपके साथ साझा की जाएं। सबसे पहले तो यह कि शिवना प्रकाशन को विश्‍व पुस्‍तक मेले में स्‍टॉल का आवंटन हो गया है। हॉल क्रमांक 12 A जो कि हॉल क्रमांक 12 का हिस्‍सा है उसमें स्‍टॉल क्रमांक 288 शिवना प्रकाशन-ढींगरा फ़ाउण्‍डेशन के स्‍टॉल को आवंटित हुआ है। और अधिक सुविधा के लिए नीचे के चित्र में हॉल क्रमांक 12ए में स्‍टॉल की स्थिति दिखाई जा रही है। हॉल में एण्‍ट्री लेने के बाद जब आप बांए हाथ की ओर मुड़ेंगे तो तीसरे खंड में कॉर्नर पर ही 288 नंबर का स्‍टॉल है। आवंटन सूची के अनुसार शिवना प्रकाशन के ठीक बगल में 289-290 में साहित्‍य अकादमी का स्‍टॉल है। शिवना प्रकाशन के ठीक पीछे 257-272 में वाणी प्रकाशन का स्‍टॉल है। आप आइये आपका स्‍वागत है। और हां 16 फरवरी को शिवना प्रकाशन का पुस्‍तक जारी करने का कार्यक्रम हॉल क्रमांक 6 के ऑडिटोरियम क्रमांक 2 (Mezzanine floor) में शाम 6 से 7:30 तक है। यह समय फिक्‍स है क्‍योंकि हमें डेढ़ घंटे का ही टाइम स्‍लॉट मिला है । उसके बाद दूसरे कार्यक्रम होंगे। तो समय से आएं और शिवना प्रकाशन की नई पुस्‍तकों और कुछ पुस्‍तकों के द्वितीय संस्‍करण के जारी होने के साक्षी बनें। इसके अलावा भी कुछ टाइम स्‍लॉट और मिलने हैं लेकिन उनका आवंटन अभी नहीं हुआ है। यदि सब कुछ योजना के अनुसार रहा तो आठ पुस्‍तकों के जारी होने का कार्यक्रम वहां होगा। जिनमें कविता संग्रह, उपन्‍यास, ग़ज़ल संग्रह और कहानी संग्रह शामिल हैं। 

Hall-12-12A-2015

तो ये थीं कुछ सूचनाएं। और आइये अब हम आज विधिवत रूप से तरही का समापन करते हैं। राकेश खंडेलवाल जी ने एक गुदगुदाती हुई ग़ज़ल भेजी है जो शिष्‍ट और शालीन हास्‍य को समेटे हुए है। तो आइये इसी रचना के साथ हम तरही को समाप्‍त करते हैं। और हां भभ्‍भड़ कवि यदि आए तो आ ही जाएंगे। साथ में यह भी कि एक दो दिन में ही होली के हंगामे का तरही मिसरा प्रदान कर दिया जाएगा।

SHIVNA PRAKASHAN 12X32

मोगरे के फूल पर थी चांदनी सोई हुई

Rakesh2

श्री राकेश खंडेलवाल जी

है बिछी अब भी नज़र कुछ जागती सोई हुई
देख तो लें आपकी है क्या घड़ी खोई हुई

पाग कर नव्वे इमरती और कालेजाम सौ
फिर कढ़ाई में पसर थी चाशनी सोई हुई

थाल भर हलवा सपोड़ा, बिन डकारे एक संग
नीम के नीच लुढ़क, थी भामिनी सोई हुई

सावनी इक मेघ से अभिसार करते थक गई
पौष में दुबकी हुई थी दामिनी सोई हुई

खूब पीटे  ढोल, तबला, बांसुरी, सारंगियाँ
शोर ही केवल मचा, थी रागिनी सोई हुई 

पंकजों के पत्र पर ठहरा प्रतीक्षा में तुहिन
बेखबर हो दूर थी मंदाकिनी सोई हुई

नीरजी पग हैं गगन पर, क्या तरही मिसरा लिया
" मोगरे के फूल पर थी चांदनी सोई हुई "

नाम तो इसको ग़ज़ल का भूल कर मत दीजिये
पास वो आती नहीं अभिमानिनी सोई

कौन है बतलाओ जिसने मिसरा-ए-तरही चुना
इस उमर में फिर जगाता आशिकी सोई हुई

इश्क में शाहेजहां तो ताज ही बनवा सका
हमने रच दी शायरी में नाजनी  सोई हुई

आज फिर परदा नशीँ  इक ख्वाब में आया मिरे
आ गई रफ़्तार में, थी धुकधुकी सोई हुई

हाय ! सी सी कर रहीं वो चाट  की चटखारियां
देख  कर सहसा मुहब्बत जागती, सोई हुई

ये असर भकभॉ  मियाँ का, है खता अपनी नहीं
हम न लिख पाये ग़ज़ल को, वो रही सोई हुई

आपकी इस व्यस्तता को कोई आखिर क्या कहे
भागती रफ़्तार दुगनी कर घड़ी सोई हुई

फोन पर भी आजकल तो आप मिल पाते नहीं
जैसे हो रिंगटोन तक भी आपकी सोई हुई

एक तो जलसा-ए-शिवना, उस पे पुस्‍तक मेला भी 
उस पे तरही की फ़िकर भी जागती सोई हुई

हर गज़ल को पढ़ रहीं, दांतों तले ये उंगलियाँ
छू ना पातीं संगणक की कोई 'की'सोई हुई

यों तो पारा शून्य से दस अंश नीचे आजकल
धूप के हल्के परस से कँपकँपी सोई हुई

जनवरी के अंत  तक शायद तरही चलता रहे
मोगरे के फूल पर थी  चांदनी सोई हुई 

थाल भर हलवा सपोड़ा बिन डकारे एक संग में नीम के नीचे लुढ़क कर सोई हुई भामिनी का सीन तो बहुत ही खूब है। इस एक शेर पर दाद खाज खुजली सब कुछ बाल्‍टी भर भर के दिये जा सकते हैं। और उस पर नव्‍वे इमरती और सौ काले जाम पागने वाली चाशनी की तो बात ही क्‍या है। और तरही मिसरे के कारण इस उमर ?  में आशिकी के जागने की शिकायत बिल्‍कुल वाजिब है। शिकायत पर गौर किया जाएगा। परदा नशीं के आने पर धुकधुकी के रफ्तार पकड़ने का सीन और वो भी ख्‍वाब में ही आने से । कमाल है भाई । तो साहब आपको क्‍या कहें  । बस ये कि कमाल कमाल । और वाह वाह वाह।

तो आप भी आनंद लीजिए इस लम्‍म्‍म्‍म्‍म्‍म्‍म्‍म्‍म्‍म्‍म्‍म्‍म्‍बी सी ग़ज़ल का और दाद देते रहिये। मिलते हैं अगले अंक में होली के तरही मिसरे के साथ।


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